सभी साधक मित्रो के लिए में आज यहा यक्षिणी शाबर मंत्र साधना लेकर आया हु,पिंगला यक्षिणी की साधना और प्रमोदा यक्षिणी साधना दोनों साधना में आज आपको देने वाला हु दोनों की सिद्धि कैसे होती हे वो सब विधि आपको बताने वाला हु,

तो चलिए विस्तार से जानते हे यक्षिणी शाबर मंत्र साधना के बारे में और उसके विधि विधान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.

   यक्षिणियाँ भी मनुष्येतर जाति की प्राणी हैं। ये यक्ष जाति  के पुरुषों की पत्नियाँ हैं और इनमें  विविध  प्रकार  की शक्तियाँ सन्निहित मानी जाती हैं। विभिन्न  नामबारिणी  यक्षिणियाँ विभिन्न शक्तियों से सम्पन्न हैं- ऐसी तान्त्रिकों  को मान्यता है। अतः  विभिन्न  कार्यों  की सिद्धि  एवं  विभिन्न अभिलाषानों को पूति के लिए  तंत्र   शास्त्रियों  द्वारा विभिन्न  यक्षिणियों  के  साधन  की  क्रियाओं  का प्राविष्कार किया गया है । यक्ष जाति  यूँकि चिरंजीवी होती है, अतः पक्षिणियाँ भी प्रारम्भिक  काल  से अब तक विद्यमान हैं और वे जिस साधक पर प्रसन्न हो जाती हैं , उसे  अभिलषित  वर  अथवा वस्तु प्रदान करती हैं।

यक्षिणी शाबर मंत्र साधना

पिंगला यक्षिणी साधना

मंत्र

ॐ  नमो  पिंगले  चपले  नानापशुमोहिनी  स्वाहा ।

साधना विधि

मध्याह्न  काल  के उपरान्त इस मन्त्र का सार्यकाल में ५००००० जप करे एवं बाल  मेष  (मेढ़ का बच्चा) तथा   कुक्कुट (मुग)   के    गुह्यस्थल   का    दशांश हवन   करे।  करंज,   शल्लकी,   ककोल  और   पाटल,  इन सब वस्तुओं को रखकर देवी  की  प्रार्थना करे ।  मन्त्र- जाप की  संख्या  पूर्ण हो जाने पर “पिंगला यक्षिणी’ प्रसन्न होकर साधक  के पास आती है । उस  समय निर्भय   होकर   सम्पूर्ण   रात्रि उसके   साथ  समागम करे।    स्थित    न    रहे  तो   वह   प्रसन्न   होकर साधक को इच्छित वस्तुएँ प्रदान करती है।

प्रमोदा यक्षिणी साधना

मंत्र

“ह्रीं प्रमोदाय स्वाहा।”

साधना विधि

रात्रि को उठकर इस मन्त्र का  प्रतिदिन १००००  जप करे। इस प्रकार एक  मास तक  साधन  करने   से ‘प्रमोदा यक्षिणी’    प्रसन्न     होकर     साधक  को  निधि प्रदान करती है ।

इस तरह साधक यक्षिणी शाबर मंत्र साधना करके यक्षिणी की सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे,

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