इस स्तम्भन शाबर मंत्र का प्रयोग प्राचीन काल में होता था क्योकि तब इतना आधुनिक समय नहीं था और जब युद्ध होता था तब शस्त्र और शस्त्र की गति को बाँधने के लिए इस मंत्र का प्रयोग किया जाता था और इस प्रयोग में उसको सफलता भी मिलती थी,इस साधना से तलवार की धार,चप्पू की धार भी बाँधी जाती हे,
इस मंत्र का प्रयोग करके अश्त्र और शस्त्र की गति को रोक सकते हे इसका वार अगर आपके शरीर पर हो जाये तो भी इसका असर आपको नहीं होगा,जो लोग कीमिया करते हे और जादू का खेल दिखाते हे उसके पास ये विधा होती हे,इस विधा की मदद से वो तलवार की धार और चप्पू की धार बांधकर लोगो को जादू का खेल दिखाते हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे इस स्तम्भन शाबर मंत्र को कैसे सिद्ध करे और इसका प्रयोग कैसे करे उसके बारे में इस पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे.
मंत्र
माता-पिता गुरु बांधों, धार बांधों
अस्त्रा वश्ये कटै मुनै बांधों
हनुमंत सुर नव लाख शूद्रन पाके पाऊं
रक्षा कर श्री गोरख राउ
संता देइ न वाचा नरसिंह के दुहाई
हमारी सवति आ।
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
पहले किसी होली, दीपावली, ग्रहण जैसे पर्व के अवसर पर या फिर गुरु पुष्य, शिवरात्रि, विजयदशमी जैसे अवसर पर इस मंत्र को ग्यारह माला जपकर लोबान की इक्यावन आहुतियां देकर सिद्ध कर लें। बाद में जब कभी आवश्यकता पड़े तो मंत्र को सात-सात बार पढ़कर थोड़ी-सी धूल को अभिमंत्रित करके (फूंक कर) अपने शरीर पर मल लें। ऐसा करने से शरीर शस्त्र के वार से सुरक्षित रहता है। चोट लगने पर भी असर नहीं होता, क्योंकि शस्त्र का वेग, उसकी धार या प्रहार की गति नष्ट हो जाती है।
इस तरह साधक इस स्तम्भन शाबर मंत्र को सिद्ध करके अश्त्र,शस्त्र,तलवार और चप्पू की गति को रोक सकता हे और उसकी धार बाँध सकता हे.
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