प्राण प्रतिष्ठा मंत्र

साधक कोई भी मंत्र का जाप करना चाहता हो तो पहले साधक को मंत्र को प्राण प्रतिष्ठित करना चाहिए जब साधक मंत्र को प्राण प्रतिष्ठित करता हे तब मंत्र जागृत होता हे मंत्र में जान आती हे और मन्त्र सिद्धि तुरंत प्राप्त हो जाती हे,में आपको इस पोस्ट में प्राण प्रतिष्ठा मंत्र देने वाला हु जिसका जाप करके आप मंत्र की शक्ति को जागृत कर सकते हो और मंत्र में जान डाल सकते हो,

“प्राण प्रतिष्ठा मंत्र” का अभिवादन किसी धार्मिक आधार पर आपकी संकल्पना और विश्वास के साथ होता है, और यह धार्मिक अद्भुतता के प्रति आपकी भक्ति का प्रतीक हो सकता है. इसके लिए आपको अपने धार्मिक गुरु या आध्यात्मिक आदर्श के मार्गदर्शन में विश्वास करना होगा.

प्राण प्रतिष्ठा का मंत्र अनुष्ठान करने के लिए आप निम्नलिखित विधि का पालन कर सकते हैं:

सफाई और शुद्धि:

प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने मन, वचन, और शरीर की शुद्धि बनाएं। इसके लिए नियमित ध्यान और धारणा प्रैक्टिस करें और अपने आत्मा को पवित्र रखें।

मंत्र का चयन:

अपने गुरु या आध्यात्मिक मार्गदर्शक से सुझाया गया मंत्र चुनें जो आपकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए उपयुक्त होता है।

समय और स्थान:

आपके गुरु या मार्गदर्शक के सुझाए गए समय और स्थान पर बैठें।

ध्यान और अध्ययन:

अपने मंत्र का ध्यान और अध्ययन करें, जिसमें आप मंत्र को मनसा, वाचा, और कर्मणा जाप करें।

श्रद्धा और भक्ति:

अपने मंत्र के प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ जाप करें। आपके मन में पूर्ण विश्वास होना चाहिए कि यह मंत्र आपकी प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया को साफल बना सकता है।

समापन:

मंत्र जाप करने के बाद, आप अपने गुरु या मार्गदर्शक से संपूर्ण क्रिया को पूरा करने के बारे में सलाह लें और समापन के रूप में अपनी धार्मिक साधना को समाप्त करें।

यह धार्मिक प्रथा का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है और आपको इसे सम्मान से और ध्यानपूर्वक करना चाहिए। आपके गुरु या मार्गदर्शक की मार्गदर्शन में रहना आपके लिए सहायक हो सकता है और आपकी प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया को सांगठित और साफल बना सकता है।

प्राण प्रतिष्ठा मंत्र

मंत्र प्राण प्रतिष्ठा मंत्र :-

ही  क्रो  अ आ इ ई उ कल छु ए ऐ ओ औ अं अः

श्ल्यू  दम्लयूँ नमः परमात्यने है स क ख ग घ डहाँ णमो  अरहताणं श्रब्यू देवदत्ताण प्राणाः च छ ज झ ही  णमो  सिद्धार्ण  पल्ल्यू  जल देवतायां   प्राणाः ट ठ  ड ढ ण णमो आइरियाणं यत्यू अग्नि देवताणां – प्राणाः त थ द ध न ही णमो उवझायाणं रम्ल्यू वायु देवतायां  प्राणः प  फ  ब भ  म  ॐ:  णमो  लोए सव्वसाहूणं  हल्ल्यू  आकाश देवतायां  प्राणाः य र ल व  श  स प  इक्ष, ॐ णमो अरहंत केवलिणो इम्ल्यू अनंतदेवतायां   प्राणः  इह  स्थिता सर्व यंत्र, मंत्र, तंत्र रूपेण  दिव्य  देहाय  सप्त  धातु रूप कायेन्द्रियाणि देवदत्तस्य    काय   वाङ्मनश्चक्षु   श्रोत    प्राण जिव्हेन्द्रियाणि  सुरुचिरं  सुखं  चिरं  तिरंतु स्वाहाः।

उपर्युक्त प्राण प्रतिष्ठा मंत्र से साधक मंत्र को जागृत कर सकता हे फिर इसकी साधना करके साधक उस मंत्र को आसानी से सिद्ध कर सकता हे.

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