कोइ भी मंत्र की सिद्धि हो कोई भी तंत्र क्रिया हो आपको उसको करने से पहले देह रक्षा करनी जरुरी होती हे,रक्षा मंत्र से आप चौकी नहीं लगाओगे तो आपको नकारात्मक शक्ति हेरान भी कर सकती हे,जो मंत्र सात्विक हे उसको सिद्ध करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती पर जो मंत्र तामसिक हे उसको सिद्ध करने में बहुत दिक्कत आती हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे रक्षा मंत्र का प्रयोग कैसे करे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ नमो आदेस गुरु को बजरी
बजरी वज्र किवा बज्री पै बांधो दशों द्वार को
घाले यात उलट वेद वाही कों खात पहली
चौकी भैंरू की चौथी चौकी रोम रोम की रक्षा
करवे कों श्री नृसिंह देव आया शब्द सांचा पिंड
कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम अदेस।
विधि विधान
कोई भी मंत्र की सिद्धि करने बैठो तब आपको उपर्युक्त रक्षा मंत्र से अपनी चारो तरफ रेखा खीचनी हे ऐसा करने से नकारात्मक शक्ति भाग जाती हे,
रक्षा मंत्र जाप करने से पहले, मैं आपको बताना चाहूँगा कि जो भी मंत्र जाप किया जाता है, उसे श्रद्धा और समर्पण भाव से करना चाहिए। रक्षा मंत्र का जाप विशेष रूप से सुरक्षा और आत्मरक्षा की प्राप्ति के लिए किया जाता है।रक्षा मंत्र का जाप निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है:
“ॐ देवी सर्वभुतेषु रक्षा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
इस मंत्र को साधारणतः 11, 21, 51, या 108 बार जाप किया जा सकता है। आप दैनिक अभ्यास के लिए इसे किसी शुभ समय में नियमित रूप से जाप कर सकते हैं।
मंत्र जाप का विधान इस प्रकार है:
पूर्व स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
एक शांत और शुद्ध स्थान पर बैठें जिसमें कोई भी व्याधि न हो।
माला या जपमाला का उपयोग करके मंत्र का जाप करें।
मन और बुद्धि को एकाग्र करें और श्रद्धा भाव से मंत्र का जाप करें।
जाप के बाद, समाधान और ध्यान में थोड़ा समय बिताएं और इस समय को शांति और सकारात्मकता के साथ बिताएं।
ध्यान रखें कि मंत्र जाप का विधान और महत्व विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में भिन्न हो सकता है। यदि आपको किसी विशेष धर्म से संबंधित रक्षा मंत्र जानना है, तो कृपया उस धर्म के आचार्य या धार्मिक ग्रंथों से प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करें।
इस तरह साधक रक्षा मंत्र का प्रयोग करके अपने देह की रक्षा कर सकता हे और नकारात्मक उर्जा से बच सकता हे.
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