कई साधक मित्रो का हमसे नम्र निवेदन था की यक्षिणी साधना के बारे में विस्तृत और सही साधना देना तब हमने आपको कई सारी यक्षिणी की साधना आपके समक्ष प्रस्तुत की हे आज में आपको अष्टमहासिद्धि यक्षिणी साधना लेकर आया हु जिसकी साधना करके आप इस यक्षिणी को सिद्ध कर सकते हो,
अब से कुछ सौ वर्ष भारतवर्ष में यक्ष-पूजा का अत्यधिक प्रचलन था। अब भी उत्तर भारत के कुछ भागों में ‘जखैया’ के नाम से यक्ष-
पूजा प्रचलित है। पुरातत्त्व विभाग द्वारा प्राचीन काल में निर्मित यक्षों की अनेक प्रस्तर मूर्तियों की खोज की जा चुकी है। देश के विभिन्न पुरातत्त्व संग्रहालयों में यक्ष तथा यक्षिणियों की विभिन्न प्राचीन मूर्तियाँ भी देखने को मिल सकती हैं।
कुछ लोग यक्ष तथा यक्षिणियों को देवता तथा देवियों की ही एक उपजाति के रूप में मानते हैं और उसी प्रकार उनका पूजन तथा आराधनादि भी करते हैं,
तो चलिए अष्टमहासिद्धि यक्षिणी साधना कैसे करते हे उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
‘ॐ क्लीं पद्मावती स्वाहा।”
साधन विधि
कोई भी यक्षिणी की साधना करने से पहले सुरक्षा घेरा अवश्य बना ले सुरक्षा घेरा कैसे बनाते हे उसकी विधि क्या हे और उसका मंत्र आपको हमारी साईट पर मिल जायेगा मेने बहुत सारे रक्षा मंत्र मेरी साईट में दिए हे जिसका उपयोग आप साधना के दरमियाँन आसानी से कर सकते हो,
इस मंत्र का १२००००० जप करके पंच खाद्य (मेवा) का दशांश हवन करने से अष्ट महासिद्धि यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को अष्ट महा सिद्धियाँ प्रदान करती है ।
जब आप यक्षिणी की साधना करते हो तब आपको मन में दृढ संकल्प लेना हे की यक्षिणी साधना आपको किस तरह करनी हे आप यक्षिणी की साधना माता,बहेंन और पत्नी के रूप में कर सकते हो,
इस तरह आप अष्टमहासिद्धि यक्षिणी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकते हो और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हो.
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