इस कालभैरव के पाठ का जाप मंगलवार से प्रारम्भ करे रात १२ बजे काले हकिक की माला से कम से कम ७ बार पाठ करे और मन में दृढ संकल्प करके इस पाठ का जाप करे, ये पाठ सर्व कार्य के लिए किया जाता हे इस पाठ का गलत इस्तेमाल न करे।
कालभैरव का ये पाठ वशीकरण, मारण, शान्तिकरण,उछात्तन,विद्वेषण जैसे कई कार्य आसानी से कर सकता हे,कालभैरव महाकाली का वीर हे और उसके साथ महाकाली की कई शक्ति चलती हे,
आप अगर कोई भी कार्य का संकल्प लेकर इस कालभैरव पाठ को करोगे तो आपका कार्य अवश्य पूरा होगा,
काल भैरव पाठ
ॐ अस्य श्री बटुक-भैरव- स्तोत्रस्य सप्त-ऋषिः ऋषयः, मातृका छन्दः, श्रीबटुक भैरवो देवता, ममेप्सित- सिद्धयर्थं जपे विनियोगः ।
ॐ काल-भैरौ, बटु क-भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय- विनाशनं देवता-सर्व-सिद्धिर्भवेत् । शोक-दुःख-क्षय-करं निरञ्जनं, निराकारं नारायणं, भक्ति-पूर्ण त्वं महेशं । सर्व-काम-सिद्धिर्भवेत् । काल- भैरव, भूषण-वाहनं काल-हन्ता रूपं च, भैरव गुनी । महात्मनः
योगिनां महा-देव-स्वरूपं । सर्व सिद्धयेत् । ॐ काल-भरौ, बटुक- भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व- सिद्धिर्भवेत्।
ॐ त्वं ज्ञानं, वं ध्यानं, त्वं योग, त्वं तत्त्वं, त्वं वीजं, महात्मानं त्वं शक्तिः, शक्ति-धारणं त्वं महा-देव-स्वरूपं । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरौ, बटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं नागेश्वरं, नाग-हारं च त्वं, वन्दे परमेश्वरं । ब्रह्म-ज्ञानं ब्रह्म-ध्यानं, ब्रह्म-योगं, ब्रह्म-तत्वं, ब्रह्म-बीजं महात्मनः । ॐ काल-भैरौ, बटुक भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशन देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । त्रिशूल-चक्र-गदा-पाणि शूल-पाणि पिनाक-धृक् ! ॐ काल-भैरौ, बटुक भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व- सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल भैरव ! त्वं विना गन्ध, विना धूपं, विना दीपं सर्व-शव- विनाशनं । सर्व-सिद्धि र्भवेत् । विभूति-भूति-नाशाय, दुष्ट-क्षय-कारकं, महा-मेरवे नमः । सर्व- तुष्ट-विनाशनं सेवकं सर्व-सिजि कुरु । ॐ काल-भैरौ, बटुक भैरो, भूत- भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं महा-ज्ञानी, महा-ध्यानी, महा-योगी, महा- बली, तपेश्वर ! देहि मे सिद्धि सर्व । त्वं भैरवं भीम-नादं च नावनम् । ॐ काल-मेरो, वटुक-भैरौ, भूत-भेरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ आं ह्रीं ह्रीं ह्रीं। अमुकं मारय मारय, उच्चाटय उच्चाटय, मोहय मोहय, वशं कुरु कुरु । सर्वार्थकस्य सिद्धि-रूपं त्वं महा-काल ! काल-भक्षणं महा-देव-स्वरूपं त्वं । सर्व सिद्धयेत् ! ॐ काल-भैरो, बटुक- भैरो, भूत-भैरो ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व- सिद्धिर्भवेत् ! ॐ काल भैरव ! त्वं गोविन्द, गोकुलानन्द ! गोपालं, गोवर्द्धन धारणं त्वं । वन्दे परमेश्वरं । नारायणं नमस्कृत्य, त्वं धाम-शिव-रूपं च । साधकं सर्व सिद्ध येत् । ॐ काल-भैरी, बटुक भैरौं, भूत-भरौ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं राम-लक्ष्मणं, त्वं श्रीपति-सुन्दरं, त्वं गरुड़- वाहनं, त्वं शत्रु हन्ता च, त्वं यमस्य रूपम् । सर्व-कार्य-सिद्धि कुरु । ॐ काल-भैरौ, बटुक भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं ब्रह्म-विष्णु- महेश्वरं, त्वं जगत्-कारणं, सृष्टि- स्थिति-संहार-कारकं, रक्त-बीजं, महा-सैन्यं, महा-विद्या, महा-भय- विनाशनम् । ॐ काल भैरो, बटु क-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा- भय-विनाशनं देवता। सर्व सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं आहार मद्य, मांसं च, सर्व-पुष्ट-विनाशनं, साधकं सर्व-सिद्धि-प्रदा। ॐ आं ह्रीं ह्रीं ह्रीं अघोर-अघोर, महा-अघोर, सर्व-अघोर, भैरव-काल ! ॐ काल भैरो, बटुक भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा- भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।ॐ आं ह्रीं ह्रीं ह्रीं । ॐ आं क्लों क्लों क्ली। ॐ आंकी की की। ॐ ह्रीं ह्रीं ह्री, रं रं रु, · … । मोहन ! सर्व-सिद्धि कुरु- कुरु। ॐ आं ह्रीं ह्रीं ह्रीं । अमुके उच्चाटय-उच्चाटय, मारय- मारय । पूं, में प्रे, खं खं । दुष्टान् हन हन । अमुकं फट् स्वाहा । ॐ काल-
भैरो, बटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता। सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ बटुक-बटुक योर्ग च बटुकनाथ महेश्वरः । बटकं वट-वृक्ष बटकं प्रत्यक्ष सिद्धयेत् । ॐ काल-भरी, वटुक भैरो भूत-भरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धि र्भवेत् । ॐ काल-भैरव, श्मशान-भैरव, काल-रूप काल-भैरव ! मेरो वैरी तेरो आहार रे । काढ़ि करेजा चखन करो कट-कट । ॐ काल-भरी, बटुक भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व- सिद्धि र्भवेत्। ॐ नमो हंकारी वीर ज्वाली-मुखी! तूं दुष्टन बध करो। बिना अपराध जो मोहि सतावे, तेकर करेजा छिदि परै, मुख-वाट लोहू आवे । को जाने ? चन्द्र, सूर्य जाने की आदि-पुरुष जाने । काम-रूप कामाक्षा देवी । त्रि-वाचा सत्य, फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा !ॐ कालभैरव , बटुक-भरी, भूत-भैरो ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं डाकिनी, शाकिनी, भूत पिशाचच । सर्व- दुष्ट-निवारणं कुरु कुरु, साधकानां रक्ष रक्ष । देहि मे हृदये सर्व- सिद्धिम् । त्वं भैरव-भैरवीभ्यो, त्वं महा-भय-विनाशनं कुरु । ॐ काल-भरी, बटक-भरौ, भूत-भैरौ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ आं ह्रीं। पच्छिम दिशा में सोने का मठ, सोने का किवाड़, सोने का ताला, सोने की कुजी, सोने का घण्टा, सोने की सांकुली। पहली साँकुलो अठारह कुल-नाग के बांधों। दूसरी साँकुलो अठारह कुल-जाति के बाँधों। तीसरी सांकुलो बैरि-दुष्टन के बांधों। चौथो सांकुलो डाकिनी-शाकिनो के बाँधों । पाँचवीं साँकुलो भूत-प्रेत के बांधों। जरती अगिन बांधों, जरता मसान बांधों, जल बांधों, चल बांधों, बाँधों अम्मरताई। जहां तहाँ जाई । जेहि बांधि मंगावों, तेहि का बौधि लाओ। बाचा चूक, उमा सूखे । श्री बावन वीर ले जाय, सात समुन्दर तीर। त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा। ॐ काल- भैरो, बटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता। सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ आं ह्रीं । उत्तर दिशा में रूपे का मठ, रूपे का किवार, रूपे का ताला, रूपे की कुञ्जो, रूपे का घण्टा, रूपे की सांकुली। पहिली सांकुलो अठारह कुल नाग बांधों, दूसरी सांकुलो अठारह कुल-जाति को बांधूं, तोसरो सांकुली बैरी दुश्मन को बांधों, चौथी साँकुली डाकिनी-शाकिनो को बांधों, पांचवीं साँकुली भूत-प्रेत को बांधों। जलत अगिन बांधों, जलत मसान बांधों, जल बांधों, थल बांधों, बांधों अम्मरताई। जहाँ भेजू, तहाँ जाई। जेहि बांधि मॅगावों, तेहिं का बांधि लाओ। वाचा चूक, उमा सूखे । श्रीबावन वीर ले जाय, समुन्दर तीर। त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा । ॐ काल- भैरौ, बटुक-भैरो, भूत-भैरी ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । आँ ह्रीं। पूरब दिशा में तामे का मठ, तामे का किवार, तामे का ताला, तामे की कुञ्जी, तामे का घण्टा, तामे की साँकुली। पहलो सांकुलो अठारह कुल-नाग को बांधूं, दूसरी सांकुली अठारह कुल-जाति को बांधु, तीसरी साँकुली बरी-दुष्टन को बांधू, चौथी सांकुली डाकिनी-शाकिनी को बांधू, पांचवीं साँकुलो भूत-प्रेत को बांधू । जलत आंगन बांधू, जलत मसान बांध, जल बांधों, थल बांधों, बांधों अम्मरताई । जहाँ भेजूं, तहाँ जाई। जेहि बांधि मंगावों, तेहि बांधि लाओ। वाचा चूके, उमा सूखे । श्री बावन वीर ले जाए सात समुन्दर तोर । त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल भैरौ, बटुक भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय- विनाशनं देवता। सर्व- सिद्धिर्भवेत् । ॐ ह्रीं। दक्षिण दिशा में अस्थि का मठ, अस्थि का किवार, अस्थि का ताला, अस्थि को कुजी, अस्थि का घण्टा, अस्थि को सांकुली। पहली सांकुलो अठारह कुल नाग को बाँधों, दूसरी सांकुली अठारह कुल-जाति को बाँधों, तीसरी सांकुली वैरी-दुष्टन को बांधों, चौथी साँकुली डाकिनी-शाकिनी को बाँधों, पांचवीं सांकुली भूत-प्रेत को बांधों। जलत अगिन बाँधों, जलत मसान बाँधों, जल बांधों, थल बाँधों, बाँधों अम्मरताई । जहाँ भेजू, तहाँ जाई। जेहि बांधि मंगावों, तेहि का बांधि लाओ। वाचा चूक, उमा सूखे । श्री बावन वीर ले जाय सात समुन्दर तीर । त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, बटुक भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं आकांशं, त्वं पातालं, त्वं मृत्यु-लोकं । चतु- र्भुजं, चतुर्मुखं, चतुर्बाहुं, शत्रु हन्ता च त्वं भैरव ! भक्ति-पूर्ण कलेवरम् । ॐ काल-भैरो, बटक-भरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! तुम जहाँ जाहु, जहाँ दुश्मन बैठ होय, तो बैठे को मारो । चलत होय, तो चलते को मारो। सोवत होय, तो सोते को मारो। पूजा करत होय, तो पूजा में मारो। जहाँ होय, तहाँ मारो। व्याघ्र ले भैरव, दुष्ट को भक्षौ । सर्प ले भैरव ! दुष्ट को डेंसो। खड्ग से मारो, भैरव ! दुष्ट को। शिर गिरेवान से मारो, दुष्टन करेजा फटै । त्रिशूल से मारो, शत्रु छिदि परै, मुख बाट लोहू आवे । को जाने ? चन्द्र, सूरज जाने को आदि-पुरुष जाने । काम-रूप कामाक्षा देवी । त्रिवाचा सत्य फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ कालभैरव , बटुक-भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता। सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव त्वं । वाचा चूक, उमा सूखै, दुश्मन मरे अपने घर में । दुहाई काल-भैरव की । जो मार वचन मूठा होय, तो ब्रह्मा के कपाल टूटै शिवजी के तीनों नेत्र फूट । मेरी भक्ति, गुरू की शक्ति, फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, बटुक भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरव ! त्वं भूतस्य भूत-नाथश्च, भूतात्मा भूत-भावनः । त्वं भैरव, सर्व-सिद्धि कुरु कुरु । ॐ काल-भैरौ, बटक-भैरो, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।
कालभैरव का ये पाठ बहुत ही प्रचंड और खतरनाक हे इसका वार कभी खाली नहीं जाता.
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