चामुंडा यक्षिणी साधना

आज कल के इस युग में ज्यादातर साधक यक्षिणी साधना करने के पीछे ही भागे रहते हे किसीको गुरु नहीं मिलता हे तो किसीको साधना में सफलता नहीं मिलती,यक्षिणी की साधना से यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को सब कुछ देते हे,हम इस पोस्ट में चामुंडा यक्षिणी साधना कैसे करे उसका विधि विधान क्या हे और उसके कुछ खास निति नियम का अनुसरण करके साधना का प्रारम्भ करोगे तो साधक को १००% सफलता मिलेगी,

साधक को तो पहले कोई भी साधना करनी हो उसका संकल्प जरुर ले और जिस भी मंत्र की साधना करनी हे उस मंत्र पर आपकी श्रद्धा और विस्वास होना चाहिए साधना के बिच में ही आप सोचने लगेंगे की मुझे कुछ अहेसास नहीं होता या अनुभव नहीं होते क्या इस साधना में सफलता मिलेगी की नहीं मेरा कोई गुरु नहीं हे कैसे साधना करू ये सब सवाल आपके मन से निकल देना चाहिए,जितने दिन की साधना हे इसमें बस आपको सिर्फ साधना ही करनी हे निस्वार्थ होकर साधना में प्रवेश करोगे तो आपको बिना गुरु के भी सफलता मिल सकती हे पर आपको विधि और विधान का अनुसरण करना बहुत ज्यादा आवश्यक हे,

तो चलिए इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे की चामुंडा यक्षिणी साधना कैसे करे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.

चामुंडा यक्षिणी साधना

मंत्र:-

“ॐ  क्रीं  आगच्छ  आगच्छ  चामुण्डे  श्री स्वाहा ।”

साधन विधि-

मिट्टी और गोबर से पृथ्वी को  लोपकर, उस पर  कुशा बिछादे, फिर पंचोपचार  एवं नैवेद्य से देवी का पूजन कर, रुद्राक्ष की माला से उक्त मंत्र  का पाच लाख जप करे  तो  ‘चामुण्डा यक्षिणी‘ प्रसन्न होकर सोते समय अद्ध रात्रि में साधक को सभी शुभाशुभ फल  स्वप्न में कह देती है।

ये साधना आप २१ या ४१ दिन में पूरी कर सकते हो,साधना काल में आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक हे,जब ये साधना प्रारम्भ करो तब आप अपने हिसाब से देख लेना की कितने दिन की साधना करनी हे और हररोज कितना जाप करना हे पर ध्यान ये रखे की ५ लाख मंत्रजाप पुरे करने होंगे,

इस तरह साधक चामुंडा यक्षिणी साधना कर सकता हे.

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