आज में आपके समक्ष काल भैरव की हांडी भेजकर शत्रु का नाश कैसे करते हे वो विधि लेकर आया हु ये तांत्रिक क्रिया बहुत ही प्राचीन और गुप्त हे, पहले इसका प्रयोग बहुत होता था पर बदलते समय के साथ लोग बदल गए और धीरे धीरे ऐसे शाबर मंत्र लुप्त हो गई पर हमारा ये उद्देश्य हे की ऐसे जो दुर्लभ शाबर मंत्र हे उसको फिर से जनकल्याण के लिए और जनहित में जारी करना,
मंत्र
“ॐ नमो काला भैरो मसान वाला। चौसठ योगिनी करै तमाशा। रक्त बाण।
चल रे भैरों कालिया मसान। में कहूँ तोसों समुझाय। सवा पहल में धूनी दिखाय।
मुवा मुर्दा, मरघट बॉस। माता छोड़े पुत्र की आस । जलती लकड़ी धुकै मसान।
भरों मेरा बैरी तेरा। खान सेली सिंगी रुद्रबाण। मेरे बैरी को नहीं मारो तो राजा रामचन्द्र लक्ष्मण यति की आन ।
शब्द साँचा। पिंड कांचा। फुरै मंत्र ईश्वरोवाचा।”
मंत्र को सिद्ध करने का विधान
जब कोई इन्सान मर जाता हे तो उसको जलाने के लिए स्मशान में ले जाते हे और साथ में एक हांड़ी लेकर जाते हे उसमे जलते हुए कोयले होते हे बस आपको वो हांडी ढूढ लेनी हे,फिर रात्री के समय में स्मशान में जाकर उस हांडी के अन्दर उड़द के दाने डाल दे और जलती चिता के ऊपर उसको पकाए पकाते समय उपर्युक्त मंत्र का जाप करे और उस हांडी को उतार ले फिर उसमे जो पके हुवे यानि की भुने हुवे जो उड़द के दाने हे उसको अलग निकाले और उस पर उपर्युक्त मंत्र को २१ बार अभिमंत्रित करे और वो उड़द के दाने अपने दुश्मन को मारे आपके दुश्मन का खात्मा हो जायेगा ये क्रिया रात में ही करे और जब स्मशान से घर आ रहे हो तब पीछे मुडके ना देखे,
इस तरह साधक काल भैरव की हांडी भेजकर शत्रु का नाश कर सकता हे और ध्यान ये रखे की इसका गलत उपयोग कदापि नहीं होना चाहिए अन्यथा आपका ही बुरा होगा.
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