साधना में आसन का महत्व बहुत खास होता हे षट कर्म के आधार पर आसन का प्रयोग किया जाता हे, सब साधना में अलग अलग आसन का प्रयोग किया जाता हे, वशीकरण, मारण, उच्चात्तन, शंतिकरण,मोहन और स्तम्भन जैसे कार्यो में अलग अलग आसन का प्रयोग किया जाता हे आज में आपको आसन बाँधने का मंत्र क्या हे और उसका प्रयोग कैसे करते हे उसके बारे में बताऊंगा,
तो चलिए विस्तार से जानते हे आसन बाँधने का मंत्र कैसे सिद्ध किया जाता हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ जय रघुनन्दन आसन पधारम
ब्रह्म विष्णु शिवम् जगत धारणम
सूर्य अग्नि पृथ्वी आकाश
जलम् प्रकारम्
संसारम् उध्धारणम: धर्म पारम
संसारम् नर प्राणी जग धारणम
कवच धारणीम भग वस्त्रा
धारण अग्नि प्रविष्यति
भूवः भूवः स्वः यतीन्द्र देवा
सम्भणी वाणी प्रयाग्या
विश्वामित्रा शिष्यम्
संसारम् अवतारम धर्म पारम
आगच्छन्ति आगच्छन्ति
कवच मणी उत्तीर्णम्
पधारम् धरती धारण
युग पुरुष गावत प्रति संख्यम् युग युगान्तरम्
आसन त्रिशुलम उत्तारणामो शीघ्रतम
नमो नमोः नमः
इति सिद्धम्!!
मंत्र को सिद्ध करने का विधान और प्रयोग
इस मंत्र को पहले ग्रहण काल में ५१ माला करके सिद्ध करले फिर जब साधना करनी हो तब २१ बार मंत्र बोलके आसन को बांधे,
आसन बांधना
मंत्र
ॐ विष्णु भुततनात्वि चतुर्थ भुजा वाशिणी
दशम दिशा प्रणति पुज्य प्रति क्षणम संसारम
कलाक्षी कलयुगे भवः सागरम संसारम्
भवान्ति कलयुगे उच्चारणम्
त्रिलोकम तारागणम पुष्पागण संसारम्
काल भैरव प्रताक्तिवियम् विमण पृथ्वी विक्याणम्
विकाल भैरव जन्म मृत्यु विज्यारणम् पृथ्वी मापण संसारम
अधिपति विधायकम्
ॐ जागपरियाणी, यान्त्रणी, ब्रह्मा विष्णु शिवम यान्त्रणी
भ्रगोयामी भूर्वः भूवः स्वः भज जगत नारायणी नारायणी
अवतरित भारत भूमेणी भूमेणी
इति सिद्धम्!!
मंत्र को सिद्ध करने का विधान और प्रयोग
उपर्युक्त मंत्र को ११ दिन तक एक माला करके सिद्ध करले,साधना के समय गूगल का धूप करे और सुगन्धित धुपब्बती जलाये ११ दिन तक साधना करने से मंत्र सिद्ध हो जायेगा,जब आसन बंधन करना हो तब ११ बार मंत्र बोलकर आसन बंधन करे,
इस तरह साधक आसन बाँधने का मंत्र का प्रयोग करके आसन बंधन कर सकता हे.
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